Friday 22 December 2017









म्हारे गांव में
    कवि - भगीरथ सिंह "भाग्य "
छोटो सो है गाँव गुवाड़ी गलिया नेड़ी नेड़ी
टूटी फूटी छान झुपड़ी ना पोळी ना मेड़ी
पंचायत रा कर फैसला अमली और गंजेड़ी
सौ सौ चूसा खा'र बिलाई चढ़गी हर की पेड़ी
तो धाडेतया लूट ली दुकान म्हारे गाँव में
पंचा री काट ली जुबान म्हारे गांव में

सुगनी काकी बात बनावे बोले आधी टेढ़ी
और घिस्यो बाबो रोज पराये खेता काट पेढ़ी
बूढी दादी री ले भाग्यो कुणरा मारयो गेड़ी
मज सरद्या म्हे पगा उगाणा फाटी म्हारी एड़ी
तो छेला चबावे है पान म्हारे गाँव में
बीड़या री खुलगी दूकान म्हारे गाँव में

बात बतंगड़ बणता बणता अलीया गलिया फैली
क काल रुपली की चूंदड़ ही जगा जगा स्यु मैली
क मनियारा रा घर रे लारे है फूट्योड़ी हेली
अर कानुड़ा री बाता म्हे भुळगी अणजाण अकेली
तो लूचा रे लागरी है तान म्हारे गाँव में
डोळ्या रे चिप'रया है कान म्हारे गाँव में

परस्यु रात गवाड़ी म्हे पाबूजी री फड़ रोपी
और सारंगी पे नाच देख'क टोर बांध ली गोपी
ओल'अ छाने सेन कर है देख आडी टोपी
क अब तो खुश होग्या हां रुपयों लेज्या प्यारी भोपी
तो कर दियो रूपये रो दान म्हारे गाँव में
राख लियो भरी सभा रो मान म्हारे गाँव में

मनुवारा म्हे भोळी पिया करता  थोड़ी थोड़ी
अर नसों हुयो जड़ कुबदा सूझी करली छाती चौड़ी
ठाकरसा थरके स्यु बोल्या पाछे मुंछ मरोड़ी
क जुगली छोरी आज रावळे स्यु घर जाऐ मोड़ी
ठाड़े रो डोको है डांग म्हारे गाँव में
हिनेरी फाडगे री लांग म्हारे गाँव में

क जुओ सोदो खेल करण रो नसों अणूतो लाग्यो
और अम्बर माई देख बादली टेन सावती खाग्यो
क दोकी बिंदी दो को चौको दोको दड़ो लगाग्यो
और घर आली रो गेणो लतो बेचबाच'क खाग्यो
तो गिरवी जुवारिया री शान म्हारे गाँव में
और लूटखोष खावे है जुजमान म्हारे गाँव में

कवि - भगीरथ सिंह "भाग्य "

Thursday 19 January 2017

जीवणों दोरो होग्यो रे


जीवणों दोरो होग्यो रे




घणां पालिया शौक जीवणों दोरो होग्यो रे
देवे राम नें दोष जमानों फौरो होग्यो रे

च्यारानां री सब्जी ल्यांता आठानां री दाल
दोन्यूं सिक्का चाले कोनीं भूंडा होग्या हाल
च्यार दिनां तक जान जींमती घी की भेंती धार
एक टेम में छींकां आवे ल्याणां पडे उधार
जीवणों दोरो---

मुंडे मूंड बात कर लेंता नहीं लागतो टक्को
बिनां कियां रिचार्ज रुके है मोबाईल रो चक्को
लालटेन में तेल घालता रात काटता सारी
बिजली रा बिल रा झटका सूं आंख्यां आय अंधारी
जीवणों दोरो---

लाड कोड सुं लाडी ल्यांता करती घर रो काम
पढी लिखी बिनणिंयां बैठी दिनभर करै आराम
घाल पर्स में नोट बीनणीं ब्यूटी पारलर जावे
बैल बणें घाणीं रो बालम परणीं मोज उडावे
जीवणों दौरो---

टी वी रा चक्कर में टाबर भूल्या खाणों पीणों
चौका छक्का रा हल्ला में मुश्किल होग्यो जीणों
बिल माथै बिल आंता रेवे कोई दिन जाय नीं खाली
लूंण तेल शक्कर री खातर रोज लडै घरवाली
जीवणों दौरो---

एक रुपैयो फीस लागती पूरी साल पढाई
पाटी बस्ता पोथी का भी रुप्या लागता ढाई
पापाजी री पूरी तनखा एडमिशन में लागे
फीस किताबां ड्रेसां न्यारी ट्यूशन रा भी लागे
जीवणों दौरो---

सुख री नींद कदै नीं आवे टेंशन ऊपर टैंशन
दो दिन में पूरी हो ज्यावे तनखा हो या पैंशन
गुटखां रा रेपर बिखरयोडा थांरी हंसी उडावे
रोग लगेला साफ लिख्यो पणं दूणां दूणां खावे
जीवणों दौरो---

पैदल चलणों भूली दुनियां गाडी ऊपर गाडी
आगे बैठे टाबर टींगर लारै बैठे लाडी
मैडम केवे पीवर में म्हें कदै नीं चाली पाली
मन में सोचे साब गला में केडी आफत घाली
जीवणों दोरो---

चाऐ पेट में लडै ऊंदरा पेटरोल भरवावे
मावस पूनम राखणं वाला संडे च्यार मनावे
होटलां में करे पार्टी डिस्को डांस रचावे
नशा पता में गेला होकर घर में राड मचावे
जीवणों दौरो ---

अंगरेजी री पूंछ पकडली हिंदी कोनीं आवे
कोका कोला पीवे पेप्सी छाछ राब नहीं भावे
कीकर पडसी पार मुंग्याडो नितरो बढतो जावे
सुख रा साधन रा चक्कर में दुखडा बढता जावे
जितरी चादर पांव पसारो मन पर काबू राखो
गजानंद भगवान भज्यां ही भलो होवसी थांको
जीवणों दौरो होग्यो रे